आत्मा से परमात्मा के मिलन का सीधा रास्ता है विश्वास का — काली उपासक दीपिका नेगी ।
अमृतसर – ( सिम्पल छाबड़ा ) – आत्मा और परमात्मा ये वो दो शब्द हैं जो हमारे जीवन मे कई बार दोहराए जाते हैं । लेकिन आज तक आत्मा और परमात्मा को देखने का सौभाग्य हर किसी को प्राप्त नही हुआ है ।
मृत्युलोक में जो जीवन हमे मिला है वो हमारे कर्मो को भुगतने के लिए मिला है । हमारी चाह ओर लालसा इस जीवन में इतनी बढ़ जाती है कि हम लोग आत्मा ओर परमात्मा शब्द बार बार जीवन मे सुनने के बाद भी अपना ध्यान उस ओर केंद्रित नही करते और अपने जीवन में मिले दुर्लभ पलों को व्यर्थ कर देते हैं । जीवन का उदेश्य अपने जीवन के दुर्लभ पलो को व्यर्थ करना नही बल्कि इन पलों को हम किस प्रकार से अपने जीवन को इस मृत्युलोक में अपनी आत्मा से परमात्मा का मिलन करवा सुगम व सरल बना अपने कर्मो को सुधार सकते हैं ।
में दीपिका एक दिन हताश हो किसी बात से परेशान बैठी थी । तब मुझे ना तो अध्यात्म का ना परमात्मा का इतना ज्ञान था या हम सरल भाषा मे कहे तो मुझे कहने में कोई संकोच नही कि में आस्तिक ना हो नास्तिक थी अपने में मस्त रहना मुझे बहुत पसंद था । लेकिन ना जाने उस दिन क्या हुआ था कि में उस दिन हताश क्यों थी ऐसा लग रहा था कि मेरे जीवन मे कुछ खालीपन महसूस हो रहा था जैसे कि में अपने जीवन का कुछ सार में छोड़े बैठी हूँ ।
तभी एक शक्ति बाबा के रूप में मेरे सामने आई ओर मुझे कहने लगी कि में अपने विश्वास को छोड़ इतनी हताश क्यों हूँ
में कुछ समझ पाती वो बोले कि तेरा विश्वास ही तेरी सबसे बड़ी ताकत है । तुझे तेरे विश्वास से ही बहुत कुछ मिलेगा । जब बाबा आये तो इतना प्रकाश उनके कुंडल से निकल रहा था कि सूरज की रोशनी भी उस प्रकाश के आगे फीकी नजर पड़ रही थी ।
उनके जाते ही मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे अन्दर एक शक्ति विराजमान हो चुकी हो । उसके बाद तो मानो मेरा ध्यान अध्यात्म की ओर बढ़ता चला गया ।
शुरू में मैने क्रिया कुंडलिनी मे अपना ध्यान लगाना शुरू किया और जब मैने उसमे मास्टर कर ली तब बाबा फिर आये और इस बार उन्होंने मेरे चेहरे पर वो चमक देखी जो पूर्ण रूप से आत्मा और परमात्मा के मिलन को दर्शाती थी । उन्होंने मुझे कहा कि में गुरू धारण करु तब मैंने ओम गुरु को अपने गुरु के रूप में धारण कर उनसे दीक्षा लेनी आरम्भ की । आज बाबा के आशीर्वाद ओर ओम गुरु जी के ज्ञान से लोग मुझे क्रिया कुंडलिनी , काली उपासक दीपिका नेगी के नाम से सम्बोधित करने लगे हैं ।
